- मक्का
- खनिज लवण ( सेलेनियम और क्रोमियम ) का मिश्रण
- सोयाबीन की खली
- पोल्ट्री फीड में तेल
- लाइम पत्थर पावडर
- डाई कैल्शियम फास्फेट
- नमक (सोडियम क्लोराइड )
- सोडियम बाई कॉर्बोनेट ( मीठा सोडा )
- मेथिओनीन
- लाइसिन
- थ्रेओनीन
- विटामिन मिश्रण
- माइको टोक्सिन बाइंडर
- एसीडीफायर
- हल्दी पॉवडर
मक्का:-
मक्का फ़ीड में एनर्जी का मुख्य स्रोत होता है,और मक्का आसानी से पच जाता है और स्टोर करने में आसान होता है। ज्यादातर राज्यों में मक्का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है,सूखे मक्के में लगभग 3300 kcal/kg ऊर्जा होती है । और 8 से 15 % तक प्रोटीन होता है । और मक्के को 60 से 70 प्रतिशत तक पोल्ट्री फीड में मिलाया जा सकता है ! मक्का हमेशा सूखा और फंगस मुक्त होना चाहिये।और मक्के में नमी हर हाल में 13 % से कम होनी चाहिये ! सूखा मक्के में नमी कम होने से पोल्ट्री फीड में ऊर्जा और प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाने से आपके पोल्ट्री फार्म में पक्षी का ग्रोथ बहुत तेज़ होता है।
खनिज लवण ( सेलेनियम और क्रोमियम ) का मिश्रण:-
पोल्ट्री फीड में खनिज लवण का मिश्रण मिलाया जाता है। अनेकों कंपनियां ब्रायलर फीड के हिसाब से खनिज लवण बनाती है।लेकिन भाव की प्रतिस्पर्धा के कारण खनिज लवण के मिश्रण में सही मात्रा में सेलेनियम और क्रोमियम नहीं मिलाती। इसलिए अलग से पोल्ट्री फीड में सेलेनियम और क्रोमियम जरूर मिलाना चाहिये। आप सेलेनियम और क्रोमियम किसी भी अच्छी कंपनी का उनकी बतायी गयी डोज़ के अनुसार देना चाहिये ।अगर आप पोल्ट्री फीड में खनिज लवण 10 प्रतिशत तक बड़ा सकते है।कई बार इससे अच्छे परिणाम देखे गए है।
सोयाबीन की खली:-
सोयाबीन की खली प्रोटीन के लिए एक बहुत अच्छा स्रोत है। इसमें 45-50 % तक प्रोटीन होता है । सोयाबीन की खली में लाइसिन ,थ्रेओनीन और ट्रीप्टोफेन भरपूर मात्रा में होती है ।सोयाबीन में कुछ फंगस या नुक्सान पहुंचाने वाले तत्त्व होते है । जिसे फैक्ट्री में कुछ गर्मी देकर सही किया जाता है । इसलिए खरीदते वक़्त ये ध्यान रखें की सोयाबीन अच्छी गुणवत्ता का हो और पोल्ट्री फीड में सोयाबीन की खली 35 % तक मिलायी जा सकती है।
पोल्ट्री फीड में तेल:-
पोल्ट्री फीड में अधिक ऊर्जा देने के लिये तेल मिलाया जाता है। तेल में विटामिन A, विटामिन D, विटामिन E,और विटामिनK के अच्छे वाहक के तौर पर भी काम करता है ।
Poultry Feed के लिए हम सोयाबीन ,चावलों और सूरजमुखी के तेल और अन्य तरह के तेलों का उपयोग कर सकते है।
पोल्ट्री फीड में तेल ज्यादातर 4 % तक ही मिलाना चाहिए ।
लाइम पत्थर पावडर:-
पोल्ट्री फीड में ज़रूरत के अनुसार पत्थर का पॉवडर मिलाया जाता है। यह पोल्ट्री फीड में कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिये मिलाया जाता है। जो पक्षी की हड्डियों के विकास में अच्छी भूमिका अदा करता है।और मुर्गिओं के अंडो के खोल बनाने में भी मदद करता है।
डाई कैल्शियम फास्फेट:-
पोल्ट्री फीड में डाई कैल्शियम फास्फेट फास्फोरस और कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिये मिलाया जाता है। खासतौर पर शाकाहारी फीड के फ़ॉर्मूलें में इसका उपयोग जरूर होता है। यह पक्षी की हड्डियों के विकास के लिए जरुरी है।
नमक(सोडियम क्लोराइड ) :-
मुर्गिओं को पोल्ट्री फीड में नमक 0.2% से 0.12% की जरूरत होती है। वैसे मक्के और सोया में कुछ नमक होता है। परन्तु फॉर्मूले के आधार पर अलग से भी नमक मिलाया जाता है।मुर्गिओं को पोल्ट्री फीड में नमक कम होने से पक्षी का विकास कम होता है।और पक्षी में सुस्ती रहने लगती है।
सोडियम बाई कॉर्बोनेट ( मीठा सोडा ):-
पक्षीयो में बेहतर विकास के लिए हमे मीठा सोडे का उपयोग करना होता है। इसे मिलाने से पक्षी की फीड की लागत में वृद्धि देखी गयी है।
मेथिओनीन:-
फीड का संतुलन बनाने के लिए उपयोगी है।और इसे फीड में मिलाने से पक्षी के विकास में वृद्धि होती है।
लाइसिन:-
लाइसिन से पक्षीयो में कैल्शियम की मात्रा अच्छी रहती है। और उनमे भोजन पचाने की छमता में विकास देखा गया है। और फीड की लागत भी कम होती है। और फीड को संतुलित बनाने में मदद मिलती है।
थ्रेओनीन:-
पोल्ट्री फीड में थ्रेओनीन मिलाने से मुर्गिओं का विकास अच्छा होता है। और सीने तथा शरीर के मांस में अधिक वृद्धि होती है।
विटामिन मिश्रण:-
अनेकों कम्पनियाँ Poultry Feed के लिए विटामिनों का मिश्रण बनाती है। परन्तु कईं बार देखा गया है। लागत और प्रतिस्पर्धा को देखता हुए कुछ कंपनियां विटामिनों के मिश्रण में विटामिन E ,विटामिन C और बायोटिन सही मात्रा में नहीं मिलाती जिससे फीड में अच्छे परिणाम नहीं मिलते, इसलिये अलग से विटामिन E ,विटामिन C और बायोटिन पोल्ट्री फीड में जरूर मिलाना चाहिये। इसके भी बेहतर परिणाम देखे गए है।
माइको टोक्सिन बाइंडर :-
माइको टोक्सिन बाइंडर अनेकों तरह के विषैले पदार्थ ( टॉक्सिसिटी ) के दुष्प्रभाव को कम या दूर करते है। अगर आपको ऐसा महसूस होता है कि फीड में उपयोग होने वाले तत्त्व में किसी तरह की की कोई मामूली कमी हो सकती है।
तो आप माइको टोक्सिन बाइंडर और साधारण टोक्सिन बाइंडर दोनों पोल्ट्री फीड में उपयोग कर सकते है।
परम्परागत तौर पर पोल्ट्री किसान टोक्सिन बाइंडर का उपयोग करते है।
यह भी ठीक है परन्तु माइको टोक्सिन बाइंडर का उपयोग टोक्सिन बाइंडर से ज्यादा बेहतर होता है।कई कंपनियों के नाम से माइको टोक्सिन बाइंडर बाजार में आसानी से उपलब्ध है।
एसीडीफायर:-
एसीडीफायर फीड में हानिकारक तत्वों को बढ़ने से रोकते है और और फीड के पोषक तत्वों को पक्षी को बेहतर उपलब्ध कराते है। पोल्ट्री फीड फार्मूलेशन में एसीडीफायर पक्षी के विकास को बढ़ाता है। और फीड की पाचन क्षमता भी बेहतर करते है। फीड में हानिकारक बैक्टीरिया की ग्रोथ कम होने से पोल्ट्री फार्म पर मृत्यु दर भी कम हो जाती है।
हल्दी पॉवडर:-
पोल्ट्री फ़ीड में हल्दी डालने से अन्य फ़ीड की तुलना में मृत्यु दर कम होती है। और इसका कोई दुष्परिणाम भी नहीं होता है।
और यह उन किसानों के लिये ये बहुत फायदेमंद है ,जो पोल्ट्री फ़ीड में एंटीबायोटिक नहीं डाल पाते है।
मछली चूरा:-
अच्छे दाना-मिश्रण में 2-3 प्रतिशत अच्छी तरह का मछली चूरा अवश्य देना चाहिए।
इन सभी मिश्रण को हमे बताई गई मात्रा में मिलाना है। और मुर्गिओं को देना होगा,इससे आप घर पर भी दाना बना सकते है ।
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