Papite Ki Kheti-पपीते की खेती

नमस्कार किसान भाईयों ,पपीते का वानस्पतिक नाम केरिका पपाया है। यह लेख खेती के विषय में है जो पपीते की उत्पादन के लिए की जाती है। पपीता एक स्वस्थ फल है जो पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसे खाने से आँतों के रोगों का इलाज होता है और इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है। पपीते की खेती भारत और अन्य देशों में की जाती है।

पपीते की खेती(papite ki kheti) के लिए, एक उपयुक्त भूमि और उपयुक्त जलवायु की आवश्यकता होती है। पपीता खेतों में बोया जाता है और उगाया जाता है। इसे समय-समय पर सीधे ढंग से छोड़ना जरूरी होता है ताकि उत्पादन बेहतर हो सके।

पपीते की खेती के दौरान, कीटनाशक और उर्वरकों का उपयोग बहुत कम होता है। इसके बजाय, जैविक खेती के तरीकों का उपयोग किया जाता है जो फसल की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं।

Papite Ki Kheti-पपीते की खेती

papite ki kheti-पपीते की खेती

जिन लोगों को पेट की समस्या है, उनके लिए तो पपीता एक अच्छा इलाज है।यह फल कच्चा और पकाकर दोनों तरीके से उपयोग में लिया जाता है। पपीते में भरपूर मात्रा में विटामिन ए होता है। इसमें पानी की पर्याप्त मात्रा होता है जो हमारी स्किन को नमी देता है और रंग साफ़ करता है। इसके सेवन से बदहज़मी की समस्या खत्म हो जाती है।पपीते फल खाने से पित्त की परेशानी सही होती है और भूख को बढ़ाता है । यदि इसकी उन्नत तरीके की खेती की जाए तो कम लागत पर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

पपीते की खेती एक लाभदायक व्यवसाय है जो भारत में और अन्य देशों में की जाती है। पपीता एक फल है जो पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है। इससे आँतों के रोगों का इलाज होता है और यह एक स्वस्थ विकल्प है।

पपीते की खेती के लिए, एक उपयुक्त भूमि और उपयुक्त जलवायु की आवश्यकता होती है। पपीते को अक्टूबर से फरवरी के बीच बोया जाता है और जून से अगस्त के बीच उत्पादित होता है। पपीते की खेती के लिए एक उचित फसल योजना बनाना आवश्यक होता है जो फसल के विकास और उत्पादन में मदद करती है।

पपीते की खेती के दौरान, उर्वरकों का उपयोग कम होता है और जैविक खेती के तरीकों का उपयोग किया जाता है। पपीते के फसल में कीटों और रोगों का नियंत्रण करने के लिए, कुछ उपयुक्त कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है।अधिक ठण्ड के कारण पपीता में आसानी से पाला लग जाता है |

पपीते की खेती 10 से 26 डिग्री सेल्सियन तापमान में अच्छे उत्पादन की आवश्यकता होती है,

 

ir?t=desimurgamurg 21&language=en IN&l=li3&o=31&a=B0BQWRNL55papaya farming kaise hoti hai

पपीता खेती कैसे की जाती है?

पपीता खेती किसानों के लिए एक लाभदायक फसल है। यह तापमान वर्षा और ऊपरी हवा के आधार पर बड़ी मात्रा में पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह फल प्रति हेक्टेयर 25-30 टन तक उत्पादन देता है।

पपीता की खेती के लिए उचित मिट्टी की आवश्यकता होती है जो अधिक उपजाऊ होती हो। इसके लिए लोम वाली मिट्टी ज्यादा उपयुक्त होती है।

पपीता के बीजों को बिना ढक्कन लगाए उगाया जाता है। बीजों को उगाने से पहले उन्हें पानी में धोएं ताकि उनमें कोई कीटाणु ना हों। बीजों को खेत के भितर दायीं तरफ से बाएं तरफ एक दूसरे से लगभग 2 फुट की दूरी पर उगाया जाता है।

पपीता के रोपण के बाद उसे नियमित रूप से सिंचाई करना आवश्यक होता है। अधिकतम उत्पादकता के लिए रोगों और कीटाणुओं से बचाव भी जरूरी होता है।

पपीते की खेती करने के लिए इन चरणों को अपनाया जा सकता है:-

जमीन की तैयारी:- खेत की तैयारी करते समय उचित मिट्टी की चयन की जरूरत होती है। पपीते के लिए अनुकूल मिट्टी लोमदार और उपजाऊ होनी चाहिए।

बीजों की बुवाई:- उचित मिट्टी की तैयारी के बाद, पपीते के बीज बुवाई जाते हैं। बीजों को धो कर उगाया जाता है। बीजों की वैविधता भी उपलब्ध होती है, जिसमें शामिल हैं रेड लेडी, खूबानी, सोलो और स्युप्रीम वेजिटेबल आदि।

सिंचाई:- पपीते की उन्नति के लिए नियमित सिंचाई की जरूरत होती है। इसके लिए ट्रेंच या ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था होनी चाहिए।

रोग नियंत्रण:- खेत के रोगों और कीटाणुओं से बचने के लिए उपयुक्त कीटनाशक का उपयोग किया जाना चाहिए।

फसल की देखभाल:- पपीते की फसल की देखभाल के दौरान उसे नियमित रूप से खाद दी जानी चाहिए।

फसल कटाई और प्रसंस्करण:- फसल को समय पर कटा जाना चाहिए ताकि फसल को समय पर कटा जाने के बाद, उसे प्रसंस्करण के लिए तैयार किया जाता है। पपीते को धोया जाता है और फिर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। इसके बाद, उन्हें सुखाया जाता है या फिर उन्हें ताजा हालत में बेचने के लिए बाजार में भेजा जाता है।

इसके अलावा, पपीते की खेती के लिए ध्यान रखने वाली अन्य महत्वपूर्ण बातें हैं:

फसल की न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
पपीते की खेती के लिए उचित दूरी बनाए रखने की जरूरत होती है। पपीते को आमतौर पर दूसरी फसलों से दूर रखा जाता है।
नियमित रूप से खेत के बीच में गंधक का व्यवस्था करना चाहिए।
खेती की सफलता के लिए फसल की देखभाल के लिए नियमित रूप से काम करना चाहिए।
पपीते के फलों को पर्याप्त संग्रहण और भंडारण की व्यवस्था करनी चाहिए।

पपीते की खेती का सही समय

अगर आपकी भूमि उष्णकटिबंधीय है, तो बारिश के साथ वर्षा आरंभ होने से पहले फ़रवरी और मार्च महीने में पपीते की खेती शुरू की जानी चाहिए। जबकि गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में, पपीते की खेती अधिकतर अक्टूबर से दिसंबर महीने में की जाती है।

फरवरी और मार्च एवं अक्टूबर के मध्य खेती का उचित समय है।इस महीनों में उगाए गए पपीते की उपज काफी अच्छी होती है। लेकिन इसकी खेती साल के बारहों महीने की जा सकती है।पपीते की खेती के लिए सही समय क्या होता है इसका जवाब आपकी भूमि, जलवायु और उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर करता है। अधिकतर स्थानों में पपीते की खेती उष्णकटिबंधीय या गर्म जलवायु में की जाती है।

पपीता की उन्नत किस्में-हाईब्रिड बीज से तीन गुना तक बढ़ा सकते है पपीते का उत्पादन

कूर्ग हनी ड्यू

यह फल पेड पर ही पक जाता है। और इसे सीधे तौर पर खाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसका छिलका और गुद्दा मोटा संतरी रंग होता है।

कूर्ग हनी ड्यू

Flare Papaya Dwarf Variety Fruit 

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Red Lady 786 Taiwan

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Golden Hills Farm Rare Dwarf Sweet Yellow Papaya

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Gaylord Pusa Nanha /Dwarf Papaya Hybrid 

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FAQ-

QUE-पपीता का पेड़ कितने साल तक फल देता है?
ANS-पपीते की खेती एक बार लगाने के बाद 24 महीने तक फल देता रहता है।
QUEपपीता कौन से महीने में लगाया जाता है?
ANS-पपीते की खेती में बीजों को उपजाऊ मौसम में लगाना जरूरी होता है। पपीते के लिए सबसे उपयुक्त मौसम गर्मी होती है। पपीता के लिए बीजों को वसंत ऋतु के बाद, जब जलवायु गर्म हो जाती है, लगाया जाता है। इसके लिए मार्च या अप्रैल महीने को आमतौर पर चुना जाता है। पपीते की उचित उगाई के लिए उचित मौसमी तथ्यों का ध्यान रखें, जैसे कि तापमान, वर्षा, और सूर्य की रोशनी का उपयोग करें।
QUEपपीता की खेती कितने दिन में तैयार हो जाती है?

ANSपपीता की खेती में पूरी उगाई तैयार होने में आमतौर पर 4 से 6 महीने का समय लगता है। यह समय पेड़ के प्रकार, बीजों के प्रकार, बागवानी तकनीकों, और क्षेत्रीय मौसम के आधार पर भिन्न हो सकता है।पपीते की खेती का सामान्य प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में सम्पूर्ण होती है:

  1. बीजों की बुवाई: पपीते की खेती की शुरुआत में उचित समय पर बीज बोये जाते हैं। यह आमतौर पर मार्च या अप्रैल माह में की जाती है।
  2. उगाई की देखभाल: उगाई के बाद, पपीते के पौधों की देखभाल की जाती है, जिसमें पानी की आवश्यकता, खाद्य पदार्थों की उपलब्धता, उचित फसल संरक्षण और खरपतवार संबंधित कार्य शामिल होते हैं।
  3. फसल का विकास: पपीते का पौधा बढ़ने और विकसित होने में समय लगता है। यह आमतौर पर 3 से 4 महीने का समय लेता है।
  4. फलों का पकना: उचित समय पर पपीते के फल पकने शुरू हो जाते हैं, जो आमतौर पर 2 से 3 महीने ले सकते हैं।
QUEपपीता के पौधे में कौन सा खाद देना चाहिए?
ANS-पपीता के खेती में में देशी खाद डालनी रहती है जैसे गोबर की खाद ,या वर्मी कम्पोज़ जैसे उर्वरक का उपयोग किया जाता है।
QUEपपीते का बीज कितने रुपए किलो मिलता है?
ANS-पपीता का बीज की १० ग्राम की कीमत ३००० से ३५०० तक होती है।
QUEपपीते के पेड़ प्रति एकड़ कितने होते हैं?
ANS-पपीते के पेड़ों की खेती में प्रति एकड़ में आमतौर पर लगभग 50 से 60 पपीते के पेड़ होते हैं। हालांकि, यह आंकड़ा विभिन्न कारकों पर निर्भर कर सकता है, जैसे कि पपीते की प्रकृति, उसके प्रजाति, खेती का तकनीकी स्तर, प्रबंधन प्रथाएं आदि। इसलिए, यह आंकड़ा विभिन्न क्षेत्रों और उपजाऊ तत्वों पर भिन्न हो सकता है।

 

 

 

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