Kele Ki Kheti-केले की खेती

केले की खेती(Kele Ki Kheti) एक उत्तम व्यवसाय है, जो भारत और अन्य देशों में बहुत ही लोकप्रिय है। भारत में केले की खेती एक बड़े पैमाने पर की जाती है और इससे लाखों लोग जुड़े हुए हैं। यह खेती अन्य फलों की खेती से अलग होती है और इसके लिए खास ध्यान देने की जरूरत होती है। इस लेख में हम केले की खेती के बारे में विस्तार से जानेंगे।

 

Kele Ki Kheti-केले की खेती

Kele Ki Kheti-केले की खेती

केले की खेती के लिए उत्तम किस्में

केले की खेती(Kele Ki Kheti) के लिए उत्तम किस्में निम्नलिखित हैं:

ग्रो-मोर (Gro-Mor): यह एक सुगंधित व आर्गेनिक उर्वरक है जो फसल के विकास को बढ़ावा देता है तथा कृषकों के द्वारा प्रयोग करने में सरल होता है।

नवदीप (Navdeep): यह भारतीय जलवायु के लिए अनुकूल है तथा फल में उच्च शुगर व शुष्क मानक होता है।

ग्रेंड नेनो (Grand Naine): यह एक अत्यंत उत्तम उद्यमी जनसंख्या है जो उन्नत फसल उत्पादन तथा उच्च शुगर ग्रेड वाले फलों के लिए जानी जाती है।

रोबस्टा (Robusta): यह एक दक्षिण भारतीय किस्म है जो उत्तम उपज तथा उच्च शुगर ग्रेड वाले फलों के लिए जानी जाती है।

सफेद जम्बु (Safed Jumbo): यह जम्बो किस्म का एक उत्तम विकसित रूप है जो बाहरी बाजारों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले फलों को उत्पन्न करती है।

बैंगनपल्ली (Banganapalli): यह भारतीय दक्षिण खंड से उत्पन्न हुआ किस्म है जो उत्तम फलों के लिए जानी जाती है।
ग्रैंड नेना: यह केले की उच्च उत्पादकता और उत्तम गुणवत्ता की दृष्टि से सबसे अच्छी किस्म है। इसकी तहत, प्रति हेक्टेयर लगभग 180-200 क्विंटल की उत्पादकता होती है।

कवेरी: यह भारत में सबसे अधिक बिकने वाली केले की खेती की जाने वाली किस्म है। यह केले की तापमान सहिष्णुता, उच्च उत्पादकता और अच्छी गुणवत्ता की दृष्टि से जानी जाती है।

ग्रैंड चक्र: यह केले की लंबी जीवनकाल और उच्च उत्पादकता की दृष्टि से जानी जाती है। इसकी उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 150-175 क्विंटल के बीच होती है।

बैंगनपल्ली: यह भी उच्च उत्पादकता की दृष्टि से अच्छी किस्म है। इसकी तहत, प्रति हेक्टेयर लगभग 160-170 क्विंटल की उत्पादकता होती है।

राजा बाजा: यह भी उच्च उत्पादकता और अच्छी गुणवत्ता की दृष्टि से जानी जाती है। इसकी उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 140-150 क्विंटल के बीच होती है।

केले की खेती (Kele Ki Kheti) की जानकारी

केले की खेती मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और द्विवर्षीय पौधे से की जाती है। यह पौधा ज्यादातर उष्णकटिबंधीय देशों में उगाया जाता है, जहां उच्च तापमान और अधिक वर्षा होती है। इसके अलावा, यह द्विवर्षीय होता है, इसका मतलब है कि यह दो वर्षों में एक बार फल देता है।

भारत में केले की खेती मुख्य रूप से दक्षिण भारत में की जाती है, जो कि उष्णकटिबंधीय इलाकों में होते हुए, उस इलाके के तापमान, जलवायु और मृदा के अनुसार भिन्न होते हैं।

उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में केले की खेती(Kele Ki Kheti)

उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में केले की खेती के लिए एक अनुकूल तापमान और उच्च आर्द्रता की आवश्यकता होती है। ये क्षेत्र जलवायु विशेषताओं के अनुसार भिन्न होते हैं, जिनमें तापमान, वर्षा, जमीन की फलता, उपलब्ध नली के प्रकार और अन्य परिस्थितियां शामिल होती हैं। इसलिए, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में केले की खेती के लिए निम्नलिखित चीजों का ख्याल रखना जरूरी होता है:

जलवायु: केले की खेती(Kele Ki Kheti) के लिए अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। इसके अलावा, ये पौधे उच्च आर्द्रता की आवश्यकता होती हैं। यदि किसी क्षेत्र में अधिक जलवायु नहीं है, तो इसके लिए विभिन्न सिंचाई तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।

जमीन की फलता: केले की खेती के लिए अच्छी फलता वाली जमीन का चयन करना जरूरी होता है। उपयुक्त जमीन की फलता उपज बढ़ाने के लिए उचित तरीकों के बारे में विस्तृत रूप से अध्ययन करना चाहिए। जब तक जमीन की फलता और उपज बढ़ाने के लिए उचित तरीकों का उपयोग नहीं किया जाता है, तब तक केले की खेती सफल नहीं हो सकती।
सूखे के प्रति संवेदनशीलता: केले की खेती के लिए सूखे के प्रति संवेदनशीलता बहुत आवश्यक होती है। इसलिए, जिस क्षेत्र में बारिश कम होती है, वहां केले की खेती के लिए इरिगेशन या सिंचाई के लिए उपयुक्त संचार व्यवस्था होनी चाहिए।

खाद: केले की खेती के लिए उपयुक्त खाद का उपयोग करना चाहिए। उपयुक्त खाद उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करती है और बीमारियों से बचाती है। विभिन्न प्रकार की खाद उपलब्ध होती हैं, जैसे जीवाणुओं वाली खाद, अवशेष खाद, फूलों की खाद, मुर्गी की खाद और गोबर की खाद।

कीट प्रबंधन: केले की खेती के लिए कीट प्रबंधन बहुत आवश्यक होता है। जिस तरह से केले परिसंचरण और उत्पादकता में मदद करता है उसी तरहे से कीट प्रबंधन की आवश्कता होती है
रोग प्रबंधन: केले की खेती में अनेक प्रकार की बीमारियां होती हैं। इनमें से कुछ बीमारियां गंभीर होती हैं और अन्य बीमारियां सामान्य होती हैं। अधिकतर बीमारियों का आवेदन उत्पादकता और गुणवत्ता को कम कर देता है। इसलिए, इन बीमारियों से बचाव और उन्हें रोकने के लिए उचित उपाय अपनाए जाने चाहिए।

पौधों का देखभाल: केले की खेती(Kele Ki Kheti) के लिए पौधों का उचित देखभाल बहुत आवश्यक होता है। यह शामिल होता है प्रगतिशील तकनीकों के उपयोग से पौधों को बचाना, उन्हें सही ढंग से उगाना, उनकी नियंत्रण में रखना और उन्हें उचित समय पर उत्तर देना।

उत्पादों का उचित संग्रहण और विक्रय: केले की उत्पादकता के बाद, उत्पादों का उचित संग्रहण और विक्रय बहुत महत्वपूर्ण होता है। अधिकतर कृषि उत्पादों को बाजारों में बेचा जाता है। इसलिए, उत्पादों को उचित समय पर बेचना और अच्छी कीमत पर उत्पादों का विक्रय करना चाहिए।

केले की खेती में कितनी आती है लागत और कितनी होगी कमाई

केले की खेती में लागत और कमाई भिन्न-भिन्न क्षेत्रों, फसल की उपज, प्रयोग किए जाने वाले उपकरणों और तकनीकों पर निर्भर करती है। यह भी इस बात पर निर्भर करता है कि आप खेती किस स्तर पर कर रहे हैं, यानि कि आप खेती का उद्देश्य केवल खुद के उपभोग के लिए है या फिर व्यापारिक उद्देश्य से खेती कर रहे हैं।

आमतौर पर, केले की खेती के लिए लगभग 1 एकड़ भूमि के लिए लगत कुछ हजार से कुछ लाख रुपये तक हो सकती है। लागतों में बीजों, उर्वरक, कीटनाशक और उपकरणों की खरीद शामिल होती हैं। इसके अलावा, काम करने वाले लोगों की वेतन भी लागत का हिस्सा हो सकता है।

जबकि कमाई की बात है, तो केले की खेती उच्च दर्जे की मुनाफ़े वाली फसल में से एक है। आमतौर पर, केले की उपज करीब 25-30 टन प्रति हेक्टेयर होती है। केले की उपज के दौरान उत्पादों की कीमत फसल के आकार, विभिन्न विपणियों और फसल की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।

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Conclusion:-

इस आर्टिकल(Kele Ki Kheti) में हमने देखा कि केले की खेती एक लाभदायक व्यवसाय है जिसमें बढ़ती मांग देश के विभिन्न हिस्सों में है। केले की खेती का काम बहुत होता है। इस व्यवसाय में किसानों को अच्छा रिटर्न मिलता है और स्थानीय बाजार में इसकी बढ़ती मांग से उन्हें लाभ होता है। इसलिए, केले की खेती एक बहुत ही अच्छा विकल्प है जो किसानों के लिए लाभदायक हो सकता है।

इस आर्टिकल में हमने केले की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें देखीं। हमने देखा कि केले की खेती के लिए उचित जलवायु, मिट्टी और बीज की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, खेत की तैयारी भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। सही तरीके से खेत की तैयारी नहीं की जाती है तो उसकी उत्पादकता में कमी होती है।

FAQ

Que:-केले की खेती(Kele Ki Kheti) के लिए सबसे उचित जलवायु कौन सा होता है?
Ans:-केले की खेती के लिए उचित जलवायु गर्म और नमीभरा होना चाहिए। उचित जलवायु में अधिक उत्पादकता और उत्तम गुणवत्ता के केले प्राप्त किए जा सकते हैं।

Que:-केले की खेती(Kele Ki Kheti) के लिए कौन सी मिट्टी सबसे उचित होती है?
Ans:- केले की खेती के लिए अमृत मिट्टी सबसे उचित होती है। इसमें पौष्टिक तत्व होते हैं जो केले के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। इसके अलावा, मिट्टी में अधिक मात्रा में नमी होनी चाहिए जो केले के विकास के लिए आवश्यक होती है।

Que:-केले की खेती(Kele Ki Kheti) के लिए सही बीज कौन सा होता है?
Ans:-केले की खेती के लिए सही बीज उचित गुणवत्ता वाला होना चाहिए। स्थानीय बीजों का उपयोग किया जाना चाहिए जो कि क्षेत्र के जलवायु, मौसम और मिट्टी के अनुसार उत्तम होते हैं।
Que:- 1 एकड़ में कितने केले के पौधे लगते हैं?
Ans:- एकड़ में केले के पौधों की संख्या उन्नत तकनीक के अनुसार भिन्न हो सकती है। इसके अलावा, यह भी अनुमानित करना मुश्किल है कि कितने केले के पौधे एक एकड़ में लगाए जाने चाहिए क्योंकि यह क्षेत्र, बुआई का तरीका, विविध जलवायु आदि पर निर्भर करता है। उन्नत तकनीकों के लिए, सामान्यतः, 1500 से 2000 केले के पौधे एक एकड़ में लगाए जाते हैं।
Que:-केले का पौधा कितने दिन में फल देता है?
Ans:- केले के पौधे का फल उत्पादन उसकी उम्र और प्रजाति पर निर्भर करता है। सामान्यतः, केले का पौधा लगभग 10-15 महीनों के बाद फल देने लगता है। यह पौधा धीरे-धीरे उगता है और 8-10 पत्तियों के बाद उसकी फल देने की क्षमता होती है। एक बार फल देने के बाद, केले का पौधा लगभग 25-30 किलो के फलों को उत्पादित कर सकता है।

Que:-केला लगाने के लिए कौन सा महीना सबसे अच्छा है?
Ans:-केले के पौधे को उत्तर भारत में फरवरी-मार्च के महीनों में लगाना शुरू किया जाता है, जब ठंड खत्म हो जाती है। उत्तर भारत में सर्दियों के बाद बरसात के मौसम में भी केले के पौधे लगाए जा सकते हैं। दक्षिण भारत में केले के पौधों को अधिकतर अगस्त से सितंबर के महीनों में लगाया जाता है।

इसलिए, भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग मौसम होते हैं, इसलिए केले को लगाने का सबसे अच्छा महीना क्षेत्र के अनुसार भिन्न हो सकता है।
Que:-केला लगाने का सही समय क्या है?
Ans:- भारत में फरवरी-मार्च के महीनों में लगाना शुरू किया जाता है, जब ठंड खत्म हो जाती है। उत्तर भारत में सर्दियों के बाद बरसात के मौसम में भी केले के पौधे लगाए जा सकते हैं। दक्षिण भारत में केले के पौधों को अधिकतर अगस्त से सितंबर के महीनों में लगाया जाता है।

समय का चयन केले की विविध प्रजातियों और क्षेत्र के आधार पर भी अलग हो सकता है। इसलिए, किसी भी क्षेत्र में केले के पौधों को लगाने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से परामर्श लेना उचित होता है।
Que:-केले को पकने में कितना समय लगता है?
Ans:- केले को पकने में समय उनके पकने के स्थान, तापमान और उनकी परिपक्वता पर निर्भर करता है। केलों को पकने में लगभग 7-10 दिन का समय लगता है।

केलों की परिपक्वता की जांच करने के लिए आप उनके रंग, स्थिरता और उनकी गुणवत्ता की जांच कर सकते हैं। एक पके केले का रंग पीला और उनकी छिलका चमकदार होती है। स्थिर केले हल्के होते हैं और उनमें ढीलापन नहीं होता है। आप उन्हें नाप कर भी जांच सकते हैं, एक पके केले का वजन एक किलोग्राम से अधिक होता है।

यदि आप अपने केलों को जल्दी पकाना चाहते हैं, तो उन्हें रूम तापमान पर रखें और उन्हें धूप में सुखाएं। यदि आप उन्हें एक ताजगी वाले स्थान पर रखेंगे तो वे तेजी से पक जाएंगे।
Que:-केले के पेड़ के लिए सबसे अच्छी खाद कौन सी है?
Ans:-केले के पेड़ के लिए सबसे अच्छी खाद विभिन्न प्रकार की होती है। केले के पेड़ को उन्नत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए निम्नलिखित खाद का उपयोग किया जा सकता है:

वर्मी कम्पोस्ट (कीटाणुमुक्त खाद): यह खाद जीवाश्म में समृद्ध होती है और पेड़ के लिए सबसे अच्छी खाद मानी जाती है। इसमें पोषक तत्व और माइक्रो ऑर्गेनिज्म शामिल होते हैं जो पेड़ को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

शाकाहारी खाद: शाकाहारी खाद में दलहनी के पत्तों, फल, सब्जियां और अन्य शाकाहारी अवशेषों का उपयोग किया जाता है। यह खाद उत्तम न्यूनतम खर्च वाली खाद होती है और पेड़ को अधिक पोषण प्रदान करती है।

गोबर खाद: गोबर खाद पेड़ के लिए सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली खाद है। इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं।

खाद कम्पोस्ट: खाद कम्पोस्ट में अन्य खादों के साथ नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं।
Que:-केले की रोपाई कैसे करें?
Ans:-केले की रोपाई करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

अपने केले के पौधों की उम्र और संपूर्णता का पता लगाएं। आमतौर पर, केले के पौधे का विस्तार लगभग 6-8 फीट होता है। आप जब तक सुनिश्चित नहीं कर लेते कि आपके पौधे पके हुए हैं, तब तक उन्हें छूने से बचें।

केले के पत्ते हटाएँ। आपको केले के पत्तों को केले के दानों को छूने से रोकने के लिए हटाना होगा।

केले की रोपाई शुरू करें। केले की रोपाई शुरू करने से पहले, देखें कि क्या केले ठीक से पके हुए हैं। अगर केले पके हुए हैं तो उन्हें काटने के लिए एक चाकू का उपयोग करें। जब आप केले की रोपाई करते हैं, तो ध्यान रखें कि आप जड़ से न निकाल दें।

केले को उठाना। केले को उठाने के लिए, आपको केले की गलियों को ध्यान में रखते हुए, उन्हें धीरे से खींचना होगा। आपको ध्यान रखना होगा कि आप केले की गलियों को टूटने से रोकें, क्योंकि यह आपके केले को नुकसान पहुंचा सकती है ।
Que:-क्या डीएपी केले के लिए अच्छा है?
Ans:- हाँ, डीएपी केले के लिए एक अच्छा प्रतिबंधक दवा होता है।