Chicken Diseases-मुर्गिओं में होने वाली बीमारियां

मुर्गिओं में होने वाली बीमारियां (Chicken Diseases)उनकी स्वास्थ्य और उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। पंछी बीमारियों के कारण मुर्गे बीमार पड़ते हैं और उनकी मृत्यु भी हो सकती है। यह नुकसान कम करने के लिए, मुर्गी पालन के दौरान अच्छी हाइजीन रखना बहुत जरूरी होता है। कुछ प्रमुख मुर्गी बीमारियों के बारे में पोल्ट्री पक्षियों में कई बीमारियां हो सकती हैं।

Chicken Diseases-मुर्गिओं में होने वाली बीमारियां

Chicken Diseases-मुर्गिओं में होने वाली बीमारियां

कुछ सामान्य पोल्ट्री बीमारियां निम्नलिखित हैं:

न्यूकासल रोग:- यह वायरल रोग विभिन्न पक्षियों को प्रभावित कर सकता है, जिसमें पोल्ट्री भी शामिल है। लक्षणों में श्वसन की तकलीफ, स्नायु तंत्र के संकेत और अंडे की उत्पादन में कमी शामिल होती है।

एवियन इंफ्लूएंजा: यह वायरल रोग पोल्ट्री में नाक, गले और फेफड़ों के रोगों के लक्षण प्रदर्शित कर सकता है।

मारे जाने वाले पक्षियों की बीमारी: इस बीमारी से पक्षियों की मौत होती है और यह अन्य पोल्ट्री बीमारियों से अलग होती है। लक्षणों में खांसी, जुड़वां और आंखों के नीचे सुन्नता शामिल होती है।

इंटेस्टाइनल विषाक्तता: यह एक आम पोल्ट्री बीमारी है, जिसमें अधिकांश मामलों में जैविक विषों के कारण भोजन के पचन में कमी होती है। इससे पोल्ट्री कमजोर होती है और अंत में मृत्यु हो सकती है।

फौल्ट्स: यह एक बैक्टीरियल रोग होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है और इससे अंडे नहीं देती है। यह भोजन, पानी और वातावरण की गंदगी के कारण होता है।

कोकसिडियोसिस: यह एक प्रकार का पारजीवी रोग है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है और जिससे पोल्ट्री की स्वस्थता और अंडे की उत्पादन में कमी होती है।

माइकोप्लास्मा इनफेक्शन: यह रोग नसल श्वसन मार्ग के अनियंत्रित उत्पादन के कारण होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है। लक्षणों में श्वसन तकलीफ शामिल होती है।

ये कुछ मुख्य पोल्ट्री बीमारियां हैं, हालांकि अन्य भी हो सकती हैं। अगर आपके पोल्ट्री में किसी भी बीमारी के लक्षण हों तो तुरंत एक पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

इंफ्लुएंजा: पोल्ट्री में इंफ्लुएंजा वायरस से संक्रमण होता है जो पक्षियों के ऊतकों में प्रवेश करता है और फ्लू के लक्षण जैसे बुखार, थकान और श्वसन तकलीफ का कारण बनता है। यह रोग मनुष्यों को भी संक्रमित कर सकता है।

न्यूक्लिक एसिड डेफिशेंसी डिसआर्डर (NADD): यह एक रोग है जो पोल्ट्री में विटामिन बी12 की कमी से होता है। इससे पोल्ट्री की स्वस्थता और अंडे की उत्पादन में कमी होती है।

ब्रोडर पन्नूसाइटिस: यह वायरल रोग होता है जो अंडे के विकास और बच्चों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है।

ये कुछ और पोल्ट्री बीमारियां हैं जो पोल्ट्री को प्रभावित कर सकती हैं। इन बीमारियों के संक्रमण से बचने के लिए उचित स्वच्छता और हाइजीन रखना बहुत जरूरी होता है।Chicken Diseases- मुर्गिओं में होने वाली बीमारियां

गंजापन: यह एक औसतन उम्र से पहले बड़े प्रतिशत पोल्ट्री मुर्गों में देखा जाने वाला रोग है। इससे पोल्ट्री के रंग की धूसरता बढ़ जाती है और उनकी गतिविधियों में कमी आती है। इस रोग की वजह से अंडे की मातृ उत्पादन भी कम हो जाती है।

इंटेस्टाइनल वर्म्स: पोल्ट्री में अंतःपारगमिक कीड़े होते हैं जो अधिक मात्रा में पाचन तंत्र के कमजोर होने के कारण संक्रमण पैदा करते हैं। इससे पोल्ट्री की स्वस्थता बिगड़ती है और उनकी उत्पादकता में भी कमी आती है।

स्लिपेज डिसआर्डर: यह एक रोग होता है जो पोल्ट्री में पाचन तंत्र के कमजोर होने से होता है। इससे पोल्ट्री के पेट में संक्रमण होता है जिससे उनकी स्वस्थता बिगड़ती है और उनकी उत्पादकता में कमी आती है।

फावलिज की रोग: यह एक विकार होता है जो पोल्ट्री में अक्सर देखा जाता है। इससे पोल्ट्री के जोड़ों में सूजन, दर्द और लक्षण होते हैं जो उनकी चाल को प्रभावित करते हैं।

एवियरी इंफ्लुएंजा: यह रोग पोल्ट्री में वायरल इन्फेक्शन से होता है और संक्रमण के बाद पोल्ट्री के साँस लेने में दिक्कत होती है। इस रोग से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध हैं।

फूले वाले सिर वाला रोग: इस रोग में पोल्ट्री के सिर में सूजन और त्वचा के फूलने की समस्या होती है। यह रोग बड़ी मात्रा में नाश कर सकता है और इससे पोल्ट्री की मृत्यु भी हो सकती है।

फ़ुले हुए फोफ़ों का रोग: यह एक अन्य वायरल इन्फेक्शन होता है जो पोल्ट्री के फोफे प्रभावित करता है। इससे दमा और सांस लेने में दिक्कत होती है।

स्क्रैबल: यह एक प्रकार की त्वचा संक्रमण होती है जो पोल्ट्री में देखा जाता है। इससे पोल्ट्री की त्वचा पर सूखापन और खुजली होती है।

जोंग रोग: यह एक अन्य वायरल इन्फेक्शन होता है जो पोल्ट्री में देखा जाता है। इससे उनकी स्वस्थता बिगड़ती है और उनकी उत्पादकता में कमी आती है।

सुजबुखर्ता: यह एक प्रकार की जीवाणु संक्रमण होती है जो पोल्ट्री को प्रभावित करती है। यह रोग पोल्ट्री की श्वसन नली में समस्या का कारण बनता है और साँस लेने में दिक्कत होती है।Chicken Diseases-मुर्गिओं में होने वाली बीमारियां

Chicken Diseases मारे जाने वाले बच्चे का रोग: यह रोग पोल्ट्री में बच्चों को प्रभावित करता है और इससे बच्चों की मृत्यु हो सकती है। इस रोग के कारण पोल्ट्री के अंडे विकसित नहीं होते हैं।

लेबोरड टेस्टर: यह एक बैक्टीरियल संक्रमण होता है जो पोल्ट्री में देखा जाता है। इससे उनकी स्वस्थता बिगड़ती है और उनकी उत्पादकता में कमी आती है।

अंडा टूटने का रोग: यह रोग पोल्ट्री में अंडों को प्रभावित करता है और उनमें विकसित होने वाले बच्चों को मर जाने का कारण बनता है।

Chicken Diseases टाइफाइड: यह एक बैक्टीरियल संक्रमण होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है। इससे उनकी स्वस्थता बिगड़ती है और उनकी उत्पादकता में कमी आती है।

Chicken Diseases माइकोप्लाज्मा इन्फेक्शन: माइकोप्लाज्मा एक प्रकार का वायरस होता है जो पोल्ट्री में संक्रमण का कारण बनता है। इस वायरस के संक्रमण से पोल्ट्री को फेफड़ों की समस्या होती है जो उनकी सांस लेने में कठिनाई पैदा करती है। माइकोप्लाज्मा संक्रमण के लक्षणों में श्वसन में कठिनाई, खांसी, फीवर, श्वेत धब्बे, अधिक श्लेष्मा उत्पादन आदि शामिल होते हैं। इस संक्रमण को रोकने के लिए, एक स्वच्छ रखरखाव वाले वातावरण में पोल्ट्री को रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा, वैक्सीन भी माइकोप्लाज्मा संक्रमण से बचाव के लिए उपलब्ध हैं।

Chicken Diseases कॉकसिडियोसिस: यह एक प्रकार की पारजीव संक्रमण होता है जो अधिकतर ब्रायलर चूजों में देखा जाता है। इससे उन्हें अत्यधिक दस्त होता है और उनकी उत्पादकता में कमी आती है।

Chicken Diseases एवियन इन्फ्लूएंजा: यह एक वायरल संक्रमण होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है। इससे उनकी स्वस्थता बिगड़ती है और उनकी उत्पादकता में कमी आती है।

रैनोप्लास्मोजीस: यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है। यह रोग अधिकतर ब्रायलर चूजों में देखा जाता है और इससे उन्हें दस्त होता है।

Chicken Diseases संक्रमण वाले खाद्य से होने वाली बीमारियां: पोल्ट्री को बुरे गुणवत्ता वाले खाद्य से संक्रमण होते हैं, जो सेल्फलेस प्रोटीन, सोयाबीन, मक्का आदि शामिल होते हैं। इससे उन्हें बार-बार दस्त होता है और उनकी उत्पादकता में कमी आती है।

मलेरिया: यह एक प्रकार का पारजीव संक्रमण होता है जो अधिकतर मुर्गों को प्रभावित करता है।मलेरिया एक प्रकार का परजीवी रोग होता है जो मुख्य रूप से कीटों के काटने से फैलता है। यह रोग प्लेस्मोडियम परासाइट नामक परजीवी के कारण होता है जो मच्छरों जैसे कीटों के काटने से मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है।

मलेरिया के लक्षणों में बुखार, श्वसन में कठिनाई, थकान, शरीर में दर्द, सिरदर्द, उल्टी, दस्त आदि शामिल होते हैं। इस रोग का सही उपचार अगर समय पर नहीं किया जाए, तो यह किसी भी व्यक्ति की जान को भी खतरे में डाल सकता है।

मलेरिया को रोकने के लिए, कीटों से बचाव बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए, कीटनाशक स्प्रे का उपयोग किया जाता है और मच्छरों से बचने के लिए जानकारी और शिक्षा देना भी जरूरी होता है। रोग के लक्षणों का पहचान और समय पर उपचार करना भी बहुत जरूरी होता है।

अविवाहित स्त्री चूजों का रोग: यह एक बड़ी बाधा होती है जो अविवाहित स्त्री चूजों में देखी जाती है। इससे उन्हें अत्यधिक दस्त होता है और उनकी उत्पादकता में कमी आती है।

इबोला: यह एक प्रकार का वायरस होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है। इससे उन्हें सिरदर्द, बुखार, दस्त आदि लक्षण होते हैं और यह रोग अधिकतर पक्षियों में मौत का कारण बनता है।

समुद्री खाद्यों से होने वाली बीमारियां: पोल्ट्री को समुद्री खाद्य जैसे मछली आदि से संक्रमण होता है। इससे उन्हें अत्यधिक दस्त होता है और उनकी उत्पादकता में कमी आती है।

Chicken Diseases सैल्मोनेलोसिस: यह एक प्रकार का बैक्टीरियल संक्रमण होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है। इससे उन्हें अत्यधिक दस्त होता है और उनकी उत्पादकता में कमी आती है।

Chicken Diseases न्यूक्लीज फेडिंग: यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण होता है जो अधिकतर नवजात चूजों में देखा जाता है।

Chicken Diseases फॉवल पॉक्स: यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है। इससे उन्हें त्वचा पर दाने होते हैं जो फूल जाते हैं।

Chicken Diseases मारेक्स रोग: यह भी एक प्रकार का वायरल संक्रमण होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है। इससे उन्हें अत्यधिक दस्त होता है और उनकी उत्पादकता में कमी आती है।

फायबर डिसेज: यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है। इससे उन्हें सिरदर्द, बुखार, दस्त आदि लक्षण होते हैं और यह रोग अधिकतर पक्षियों में मौत का कारण बनता है।

इंफ्लुएंजा: यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है। इससे उन्हें श्वसन

कॉक सिडा: यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण होता है जो मुर्गियों को प्रभावित करता है। इससे उन्हें दस्त, उल्टी, सांस लेने में कठिनाई, त्वचा की संक्रमण आदि लक्षण होते हैं।

कॉक बैक: यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण होता है जो मुर्गियों को प्रभावित करता है। इससे उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है और उन्हें अत्यधिक दस्त होता है।

कोक्सिडियोसिस: यह एक प्रकार का परजीवी होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है। इससे उन्हें दस्त, उल्टी आदि लक्षण होते हैं।

अपराधी पक्षियों से संक्रमण: कुछ पक्षियों में संक्रमण होता है जो दूसरी पोल्ट्री को संक्रमित कर सकते हैं। इससे उन्हें सांस लेने में कठिनाई, उल्टी, दस्त आदि लक्षण होते हैं।ये कुछ ऐसी प्रमुख बीमारियां हैं जो पोल्ट्री को प्रभावित करती हैं। इन बीमारियों से बचने के लिए, स्वच्छता और उच्च गुणवत्ता वाले भोजन का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण होता है।संक्रमण होता है जिससे उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है।

कान्ची: यह एक प्रकार का परजीवी होता है जो पोल्ट्री के पंखों और त्वचा में होता है। इससे उन्हें खुजली होती है

कॉक बैक: यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण होता है जो मुर्गियों को प्रभावित करता है। इससे उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है और उन्हें अत्यधिक दस्त होता है।

कोक्सिडियोसिस: यह एक प्रकार का परजीवी होता है जो पोल्ट्री को प्रभावित करता है। इससे उन्हें दस्त, उल्टी आदि लक्षण होते हैं।

Conclusion:-

शुरूआत में हमने देखा कि मुर्गियों को कई प्रकार की बीमारियों(Chicken Diseases) से जूझना पड़ता है, जो उनकी स्वास्थ्य और उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। ये बीमारियां वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी और कीटाणु जैसे जीवों से होती हैं। इन बीमारियों से बचाव के लिए हमें मुर्गी के अच्छे आहार, स्वच्छता, वैक्सीनेशन और बीमारियों के लक्षणों का तुरंत पता लगाना आवश्यक होता है।

अच्छी हाइजीन रखने के लिए, मुर्गी पालन के लिए उपयुक्त सामग्री जैसे खाद, बारीश के पानी से बचना, स्वच्छता आदि उपलब्ध होना चाहिए। साथ ही जिन मुर्गों को बीमारी से पीड़ित होते हैं, उन्हें तुरंत अलग कर देना चाहिए ताकि वे अन्य मुर्गों को बीमार ना करें।

बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीनेशन बहुत महत्वपूर्ण होता है। मुर्गियों के लिए कुछ बेहतरीन वैक्सीन हैं जैसे न्यूकैसल रोग वैक्सीन, इंफ्लुएंजा वैक्सीन आदि।

वायरसों से बचाव के लिए जैसे कि एवियन इंफ्लुएंजा वायरस के खिलाफ, वैक्सीनेशन एक अहम समाधान होता है। इस वैक्सीन को मुर्गियों को दिन 1 से 7 के उम्र में दी जाती है।

अन्य वायरसीय बीमारियों जैसे एवियन इंफ्लुएंजा के अलावा, गम्भीर बीमारियों से बचने के लिए मुर्गियों को रेन्स डिसीज़, इंफेक्शस ब्रोनचाइटिस, इंफेक्शस बुरसाइटिस, इंफेक्शस सिंगेस आदि के खिलाफ वैक्सीन भी उपलब्ध है।

अन्य बैक्टीरियल बीमारियों से बचाव के लिए एंटीबायोटिक का उपयोग किया जाता है। बैक्टीरियल इंफेक्शन जैसे फैदरल स्पाइरोछेटोसिस, स्ट्रेप्टोकोकल इंफेक्शन और स्टाफ इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, स्ट्रेप्टोकोकल इंफेक्शन से बचाव के लिए मुर्गियों को वैक्सीन दी जाती है।

बीमारियों से बचने के लिए सही दवाओं का उपयोग करना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। बैक्टीरियल इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक दवाएं उपयोगी होती हैं जबकि वायरल इंफेक्शन के लिए अन्य दवाएं उपलब्ध होती हैं। हालांकि, उपयुक्त दवाओं का चयन करने से पहले एक वेटरनरी से परामर्श लेना जरूरी होता है।

संक्रमण से बचाव के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतना चाहिए। स्वस्थ और संक्रमित मुर्गों को अलग-अलग रखना चाहिए ताकि संक्रमण के फैलने की संभावना कम हो। साथ ही मुर्गियों के साथ समझौता करना चाहिए क्योंकि वे भी संक्रमण के जरिए फैल सकते हैं।

मुर्गी पालन एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है जबकि सही समझदारी न बरतने पर इससे नुकसान भी हो सकता है। बीमारियों से बचाव और उनके उपचार के लिए उपयुक्त जानकारी का होना बहुत जरूरी होता है। अगर आप मुर्गी पालन व्यवसाय करने जा रहे हैं।

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FAQ:-

Que:-मुर्गियों को साधारणतः कौन सी बीमारियां होती हैं?

Ans:-जीवाणु, वायरस और परजीवी से संबंधित कुछ आम बीमारियां मुर्गियों में होती हैं।

Que:-मुर्गियों को संक्रमण से कैसे बचाया जा सकता है?

Ans:- मुर्गियों को संक्रमण से बचाने के लिए स्वच्छता और सफाई का ध्यान रखना, वैक्सीनेशन, एंटीबायोटिक उपचार और परजीवी और कीटाणुओं से बचाव के लिए प्रतिबंधित एवं प्रभावी उपचार के साथ नियमित चेकअप की जरूरत होती है।

Que:-मुर्गियों में एवियन इंफ्लुएंजा के लक्षण क्या होते हैं?

Ans:-एवियन इंफ्लुएंजा के लक्षण में खांसी, ठंड, बुखार और श्वसन में कठोरता शामिल होती है।

Que:-मुर्गियों को एवियन इंफ्लुएंजा से कैसे बचाया जाए?

Ans:-एवियन इंफ्लुएंजा से बचाव के लिए वैक्सीनेशन एक महत्वपूर्ण समाधान होता है। इसके अलावा, एक स्वस्थ आदतों के साथ स्वच्छता और सफाई का ध्यान रखना भी जरूरी होता है।

Que:-मुर्गिओं में बच्चेदानी बीमारी से कैसे बचा जाएँ?

Ans:-बच्चेदानी बीमारी रोग की रोकथाम के लिए विभिन्न उपाय हैं जैसे कि: बर्फ या ठंडे पानी के संचलन का उपयोग, स्प्रे द्वारा वैक्सीनेशन और जल्दी से संक्रमण पता लगाकर उसके लिए उपचार करना। इसके अलावा स्वच्छता, सुरक्षा और आहार भी बच्चेदानी बीमारियों से बचाव के लिए आवश्यक होते हैं।

Que:-मुर्गों में कौन सी बीमारियाँ होती हैं और उनके लक्षण क्या होते हैं?

Ans:-मुर्गों में कुछ आम बीमारियाँ होती हैं जैसे कि न्यूक्लीस, इंफ्लुएंजा, इंफेक्शन ब्रोन्काइटिस, गंडा जलवायु, माइकोप्लास्मा इन्फेक्शन, इडिबिडिएंसिस, अविधेय जड़ना, कोशिका कोशिका, मारेक की बीमारी आदि। ये रोगों के लक्षण उस रोग के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करते हैं। लक्षण में श्वसन की समस्याएँ, दुर्बलता, उदासी, श्वसन नली से स्राव आदि शामिल होते हैं।

 

 

 

 

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