खीरे की खेती

खीरे की खेती भारत में एक महत्वपूर्ण सब्जी फसल है। यह एक उष्णकटिबंधीय फसल है जो सामान्यतया गर्म और नम जलवायु की जगहों में उगाई जाती है। खीरे का प्रतिशत 96% पानी होता है, जो इसे एक उच्च ऊर्जा खाद्य पदार्थ बनाता है। इसे सलाद, सूप, सॉल्यूशन और सॉरबेट बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

Contents show

खीरा की खेती के लिए उचित मात्रा में पानी, खाद और उचित समय बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसे मार्च-अप्रैल और जुलाई-सितंबर महीनों में बोए जा सकती है ।

खीरे की खेती

खीरा की खेती के बुवाई का सही समय और सावधानियां ?

खीरा की खेती भारत में एक प्रसिद्ध सब्जी फसल है। खीरे की खेती के लिए सही समय व में सावधानियों को ध्यान में रखते हुए खेती करना चाहिए।

खीरा की खेती के लिए सही समय

खीरा की खेती के लिए मार्च-अप्रैल और जुलाई-सितंबर महीनों को सबसे उपयुक्त माना जाता है।

खीरा की खेती के लिए सावधानियां –

भूमि तैयारी – खीरे की खेती के लिए फसल के लिए भूमि को तैयार करना बहुत आवश्यक होता है। खीरे की खेती के लिए अच्छी द्रव्यमान वाली मिट्टी का उपयोग करना चाहिए जिसमें प्रचुर मात्रा में खाद होती है।
बुवाई – खीरे की बुवाई के लिए खेत की धरती को ऊपर से ढंकते हुए खीरे की बीज बोए जाते हैं। बीज को बोने से पहले उन्हें खेत के बाद के फसल के साथ मिश्रित करना चाहिए।
सीधे बीज बोने वाली मशीन का उपयोग न करें – सीधे बीज बोने वाली मशीन का उपयोग करने से बीज के नुकसान का खतरा होता है। इसलिए, खेती करने से पहले समझदारी से बीज बोने के तरीको पर ध्यान दे ।

खीरे की उन्नत नस्ले या किस्में कौन से है

खीरे की उन्नत नस्लों में कई प्रकार के खीरे शामिल हैं जो उत्पादकों द्वारा विकसित किए गए हैं। कुछ उन्नत नस्लों में खीरे की उच्च उत्पादकता, उच्च गुणवत्ता और संभवतः रोग प्रतिरोधकता होती है। इनमें से कुछ उन्नत नस्लों का नाम निम्नलिखित हैं:

प्रथम लहर:

यह खीरा पूरे भारत में बहुत लोकप्रिय है। इसकी खेती में लगभग 40-45 दिनों में फल उत्पन्न होता है।

वर्षा वर्ग:

यह उन्नत नस्ल बीजों के बारे में अधिक जानकारी के लिए अधिक फल देती है और संभवतः शीतलहर की अनुकूलता रखती है।

अर्ध-शीतल वर्ग:

यह खीरा ठंडे मौसम में उत्पादन करने के लिए अनुकूल होता है। इसमें ज्यादातर फल की गुणवत्ता अधिक होती है और इसलिए इसका बाजार बहुत अधिक होता है।

अमेरिकी वर्ग:

यह उन्नत नस्ल खीरा बड़ा होता है और इसका रंग सफेद होता है। यह खीरा खासकर रेस्तरां और होटल में उपयोग के लिए बहुत उपयुक्त होता है

भारतीय किस्में:

स्वर्ण पूर्णिमा,स्वर्ण अगेती, पूना खीरा,पूसा उदय, पंजाब सलेक्शन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, कल्यानपुर मध्यम और खीरा 75 आदि प्रमुख है।

नवीनतम किस्में:

पीसीयूएच- 1, स्वर्ण पूर्णा और स्वर्ण शीतल ,पूसा उदय, आदि

संकर किस्में:

पंत संकर खीरा- 1, प्रिया, हाइब्रिड- 1 और हाइब्रिड- 2 आदि

जापानी लौंग ग्रीन, चयन, स्ट्रेट- 8 और पोइनसेट ये कुछ विदेशी किस्में है।

खीरे की खेती के लिए जलवायु व मिट्टी

मिट्टी का पीएच मान खीरे की खेती के लिए 6-7 के बीच होना चाहिए।खीरे की खेती के लिए शुष्क और ठंडे जलवायु अधिक उपयुक्त होते हैं। खीरा उष्णकटिबंधीय फसल होती है जिसे अधिकतम विकास के लिए 25-35 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल होता है।

खीरे की खेती के लिए मिट्टी की अच्छी द्रव्यमानता और उर्वरक की उचित मात्रा वाली मिट्टी उपयुक्त होती है। इसके अलावा, मिट्टी का pH स्तर 6-7 के बीच होना चाहिए। अच्छी द्रव्यमानता वाली मिट्टी, अच्छी निराई, उचित वेतन व जीवाणु संरचना वाली होनी चाहिए। खीरे की खेती के लिए मिट्टी में पानी की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है।

इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट एवं बलुई मिट्टी में अच्छी रहती है।

खीरे की खेती के बुवाई का समय

खीरे की खेती अधिकतर स्थानों पर गर्मियों में की जाती है। खीरे के बीजों को अंतिम बर्षा के कुछ हफ्ते पहले बोई जा सकता है। यह आमतौर पर जुलाई या अगस्त के महीनों में होता है।

हालांकि, बुवाई का समय विभिन्न क्षेत्रों और मौसम की स्थिति पर भी निर्भर करता है। बीजों को बोने से पहले भूमि की तैयारी की जानी चाहिए और उपयुक्त मात्रा में ऊर्वरक और खाद डालने की आवश्यकता होती है। अधिकांश स्थानों पर अप्रैल से मई महीने में खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।

इसलिए, आपके क्षेत्र में खीरे की खेती के लिए सबसे उपयुक्त बुवाई का समय स्थान के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। आप अपने स्थान के कृषि विभाग या स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से परामर्श लेकर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

खीरे की खेती के लिए बुवाई का समय वर्षा और गर्मियों के मौसम पर निर्भर करता है। खीरे की खेती का मुख्य मौसम गर्मियों का होता है जबकि यह वर्षा भी बरसात के बाद बुआ जाता है।

अधिकतर भारतीय क्षेत्रों में, खीरे की बुवाई दिसंबर और जनवरी के महीनों में की जाती है। इसके अलावा, मार्च-अप्रैल महीनों में भी खीरे की बुवाई की जा सकती है, लेकिन इसमें पूर्णता नहीं होती है क्योंकि इस समय गर्मी की शुरुआत होती है जो खीरे की वृद्धि को अवरुद्ध करती है।

इसलिए, खीरे की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय दिसंबर और जनवरी होता है।

खीरे के लिए खेत की भूमि तैयार करना

 

खीरे की खेती के लिए भूमि की तैयारी काफी महत्वपूर्ण होती है। यह निम्नलिखित चरणों से संभव होता है:

खेत को तैयार करने के लिए पहली जुताई रोटाबेटर से करके 2-3 जुताई देशी हल से कर देनी चाहिए। इसके साथ ही 2-3 बार पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरा बनाकर समतल कर देना चाहिए। फिर गोबर की खाद या DAP मिला कर बीज बोना चाहिए

जमीन की चयन: खीरे की खेती के लिए उच्च उत्पादकता वाली जमीन का चयन किया जाना चाहिए। खीरे के लिए उपयुक्त जमीन नींबू, सरसों, मक्का आदि फसलों की तरह लोमड़ी मिट्टी या गार्डन सॉण्ड जैसी मिट्टी होती है।

खेत की तैयारी: खेत की तैयारी के लिए सबसे पहले खेत को समतल बनाया जाना चाहिए। इसके बाद, खेत को गेहूं, चना, उड़द आदि फसलों से खाली कर दिया जाना चाहिए। इसके बाद, खेत को गड्ढों या बाहरी क्षेत्रों से निकालने वाले मलबे या विविध विद्युत विभाजित करने वाली मशीनों के द्वारा हलके से खोदा जाता है।

उर्वरक का उपयोग: खीरे की खेती के लिए उर्वरक का उपयोग उपयुक्त होता है। जैसे DAP या गोबर की खाद।

खीरे की खेती के लिए बीज की मात्रा व उपचार

खीरे की खेती के लिए बीज की मात्रा व उपचार निम्नलिखित हैं:

बीज की मात्रा:
खीरे की खेती के लिए, बीजों की मात्रा प्रति एकड़ लगभग 500-600 ग्राम होनी चाहिए।

उपचार:
खीरे की खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपचार निम्नलिखित हैं:

खीरे के लिए उचित जमीन: खीरे की खेती के लिए उचित जमीन चाहिए जो निम्नलिखित विशेषताओं को पूरा करती हो:

पानी के संचय की क्षमता होनी चाहिए।
जमीन खादी होनी चाहिए।
जमीन में अधिकतम निर्जलीयता होनी चाहिए।
बीजों की तैयारी: बीजों को सभी आवश्यक उपचार के साथ तैयार करना चाहिए,

बुवाई का तरीका

खीरे की खेती के लिए बुवाई के तरीके को निम्नलिखित ढंग से किया जा सकता है:

खेत की तैयारी: खीरे की खेती के लिए एक समतल और उपयुक्त जमीन का चयन करें। खेत की तैयारी के लिए खेत को उगाने से पहले कुछ महीनों तक खेत में खाद को डालना चाहिए। खेत को ट्रैक्टर द्वारा 1.5-2 मीटर की दूरी पर लगभग 60-75 से.मी चौड़ी नाली बना लें। ताकि खेत की तैयारी अच्छी तरह से की जा सके।इसके बाद नाली के दोनों ओर मेड़ के पास 1-1 मी. के अंतर पर बीज की बुवाई करते हैं।

बीज की बुवाई: खीरे की बुवाई के लिए समय का चयन करें। खीरे के बीज बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय गर्मी की शुरुआत से पहले होता है। बीज को खेत में बुआ जाता है। बीजों की भरपूर मात्रा के साथ एक खुदरा बाईं ओर से दूसरी ओर खुदाया जाता है। बीज खुदरा के बीच 2 इंच की दूरी पर खुदाया जाना चाहिए।

खेत की देखभाल: खीरे की खेती के दौरान उच्च रोपण की आवश्यकता होती है। खेत में रोपण से पहले खेत की सफाई की जानी चाहिए। उपयुक्त खाद देकर खेत में पानी की उपलब्धता का ध्यान रखना है ।

खीरे की खेती में सिंचाई व निराई-गुड़ाई

खीरे की खेती में सिंचाई व निराई-गुड़ाई निम्नलिखित तरीकों से की जाती है:

सिंचाई: खीरे की खेती में सिंचाई का बहुत महत्व होता है। समय-समय पर सिंचाई के बिना खीरों की उत्पादकता में कमी हो सकती है। खीरे की खेती में ट्रिकल सिंचाई सिस्टम ज्यादा उपयुक्त होता है। इसमें पाइपलाइन द्वारा पानी खेत में निरंतर टपकाया जाता है जो समय बचाता है और पानी की बचत होती है। साथ ही, खेत में सिंचाई के लिए कुछ अन्य तरीके भी होते हैं जैसे स्प्रिंकलर सिस्टम, नहरी सिस्टम और बारीश से सिंचाई।ग्रीष्मकालीन फसल में हर सप्ताह हल्की सिंचाई करना चाहिए। वर्षा ऋतु में सिंचाई वर्षा पर निर्भर करती है। वर्षाकालीन फसल में अगर वर्षा न हो, तो सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है।

निराई-गुड़ाई: खीरे की खेती में निराई-गुड़ाई का भी महत्व होता है। इससे खीरों की वृद्धि तथा निरोगी पौधे होने के चांस बढ़ते हैं। निराई-गुड़ाई से खेत में खर-पतवार में बचाव करें ताकि खीरों पर निराई और गुड़ाई के समय कोई दिक्कत न हो। निराई के लिए हरे रंग के कीटाणुनाशक और उर्वरक का उपयोग किया जा सकता है।

खीरे की खेती में रोग नियंत्रण व कीट नियंत्रण

खीरे की खेती में विभिन्न प्रकार के रोग और कीट होते हैं, जो उपज की मात्रा को कम कर सकते हैं और खेती के लाभों को कम कर सकते हैं। निम्नलिखित तरीकों से आप खीरे की खेती में रोग नियंत्रण और कीट नियंत्रण कर सकते हैं:

प्रमुख रोग
चूर्णी फफूंद:
मृदुरोमिल आसिता:

प्रमुख कीट
कद्दू का लाल कीट, रोकथाम के उपाय :
खीरे का फतंगा :
सफेद मक्खी :
माइट :

Conclusion:-

खीरे की खेती एक बहुत ही लाभदायक और सुगम कृषि उत्पादन है। यह उत्तर भारत में मुख्य रूप से सफेद खीरे उत्पादन के लिए की जाती है, जो विभिन्न भागों में प्रचलित है। खीरे की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और समय पर बिजाई और उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। इससे उत्पादकों को अधिक फायदा होगा और उन्नत उत्पादन प्रतिक्रिया भी मिलेगी।

READ MORE :-

आधुनिक खेती की जानकारी और आधुनिक खेती कैसे करते है?

Leave a Comment